क्या किसान आंदोलन का राजनीतिकरण हो रहा है

किसान आंदोलन का राजनीतिकरण किसान आंदोलन एक तरफ कुछ लोग दावा कर रहे हैं की किसान आंदोलन का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। लेकिन तमाम दावों के बावजूद। किसान आंदोलन का राजनीतिकरण होने लगा है। आंदोलनकारी मुखिया बार-बार इस आंदोलन से राजनीति को दूर रखने की बात करते हैं। लेकिन अब यह लोग ही राजनीति करने लगे। जो कि सही नहीं है। किसान मोर्चा के नेता बलवीर राजे वालों ने प्रदेश की भाजपा सरकार को गिराने की बात कहकर राजनीति तेज कर दी है जिसका अब खाप के प्रतिनिधि व अन्य लोग विरोध करने लगे हैं। "किसान आंदोलन एक संविधानिक आंदोलन है। अगर इस आंदोलन में किसी भी प्रकार का राजनीतिकरण होता है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण होगा" "नोट: हमने एक पोस्ट में कृषि कानून के तीनों बिलों के बारे में संक्षिप्त में समझाया है अगर आपने वह पोस्ट नहीं पढि तो पढ़ लीजिए" एक सिक्के के दो पहलू होते हैं यह तो आपने सुना होगा। इसी प्रकार इन तीनों बिलों में कुछ अच्छा ही है और कुछ बुराई है। हम यह कह सकता हूं की 20 परसेंट अच्छाई है और 80 परसेंट बुराई है। क्या ऐसा नहीं हो सकता कि इन कृषि कानूनों में संशोधन नहीं हो सकता? ...