किसान आंदोलन के बारे में2020
किसान आंदोलन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी 2020.
आप जानना चाहेंगे. कि आखिर किसान आंदोलन क्यों हो रहा है? आखिर क्यों पंजाब हरियाणा उत्तर प्रदेश वह राजस्थान के किसान इतनी सर्दी में दिल्ली की सड़कों पर बैठे हैं?
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तो चलिए जान लेते हैं किसान आंदोलन क्यों हो रहा है? आखिर सच्चाई क्या है किसान आंदोलन की? क्या सरकार ने जो 3 कृषि अधिनियम बिल पास किए हैं! उनसे किसानों को क्या परेशानी हो सकती है?
सबसे पहले हम जानते हैं! किए तीन कृषि अधिनियम विधेयक है क्या!
"यह तीन कृषि विधेयक है"
1 कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य(संवर्धन और सुविधा 2020
2 मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020
3 आवश्यक वस्तु संशोधन बिल 2020
(2)विधेयक राज्यसभा में ध्वनिमत मत से पास हो चुके हैं!!!!!!!
सरकार का क्या मत है इन तीनों कृषि विधेयको पर?????
1 कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य(संवर्धन और सुविधा 2020
इस बिल के मुताबिक किसान अपनी फसल. मनचाही जगह पर बेच सकता है! बिना किसी रोक-टोक दूसरे राज्यों में भी अपनी फसल बेच सकता है खरीद सकता! फसल की खरीद व बिक्री पर कोई टैक्स नहीं लगेगा और ऑनलाइन बिक्री की अनुमति भी होगी जिससे कि किसानों को अच्छे दाम मिलेंगे!apmc के दायरे से बाहर भी फसल खरीद व बेच सकते हैं
2 मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020
फसल खराब होने पर उसके नुकसान की भरपाई किसान को नहीं बल्कि एग्रीमेंट करने वाली कंपनियों को करनी होगी! किसान अपनी फसल की कीमत खुद तय करेंगे जिससे कि उन्हें ज्यादा मुनाफा हो और बिचौलिया राज खत्म हो जाए. देश में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर अच्छी व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव भी इस बिल में है!
3 आवश्यक वस्तु संशोधन बिल 2020
आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था अब तिलहन प्याज दाल खाद्य तेल और आलू जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा दी गई है या फिर बहुत जरूरी होने पर ही इन पर स्टॉक लिमिट लगाई जाएगी यानी कि आपदा सुखा जैसी स्थिति होने पर स्टॉक लिमिट लगाई जाएगी उत्पादन और स्टॉक डिस्ट्रीब्यूटर पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा
विरोध की वजह क्या है?
1.आंदोलन कर रहे किसानों का कहना है. कि अगर दूसरे राज्य से किसान फसल बेचने उसके राज्य में आएगा. तो उसकी फसल के दाम घट जाएंगे. या फिर वह अपनी फसल लेकर दूसरे राज्य में जाएगा . तो भी उसे वही कीमत मिलेगी. जो उसे अपने राज्य में मिल रही है! अगर दूसरे राज्य में कीमत ज्यादा मिलेगी तो भी उसे मुनाफा नहीं होगा क्योंकि. वहां तक फसल पहुंचाने में जो किराया लगता है. उस हिसाब से किसान का नुकसान ही होगा!
2 जो भी कंपनी या दूसरा पक्ष किसान के साथ एग्रीमेंट करता है. उस एग्रीमेंट के आधार पर किसान अपनी फसल का मूल्य खुद से कैसे करेगा? एक तरफ सरकार कह रही है. कि किसान अपनी फसल का मूल्य खुद तय करेगा. तो क्या किसान फसल उगाने से पहले ही एग्रीमेंट साइन करेगा? और अगर किसान किसी कंपनी के साथ फसल उगाने से पहले अगर एग्रीमेंट साइन करता है. तो उसे उसकी फसल की रकम वही मिलेगी. जो एग्रीमेंट में लिखा गया है. तो फिर किसान अपनी फसल का मूल्य खुद तय कैसे कर सकता है? और किसानों का यह भी कहना है कि अगर फसल का मूल्य एग्रीमेंट के दायरे से बाहर है! तो भी. मेरी फसल को खराब बताकर. मुझे मनचाही रकम नहीं मिलेगी. क्योंकि यह कोई सरकारी भाव नहीं होगा फसल का. यह सिर्फ कंपनियों का लागू किया हुआ भाव होगा. कुछ दिनों बाद सारी कंपनियां एक साथ मिल जाएगी. और हर फसल का एक फिक्स रेट कर देगी. फिर किसानों को उसी रेट पर अपनी फसल बेचनी पड़ेगी. क्योंकि किसान के तय किए हुए मूल्य पर अगर कंपनियां खरीदेगी नहीं. तो किसान को अपनी फसल मजबूरी में कम दामों में बेचनी पड़ेगी. जिससे उनकी स्थिति बेहद खराब हो सकती है.
3 कुछ किसानों का यह भी कहना है.की प्राइवेट कंपनियां उनके खेतों को हड़पना चाहती है. या फिर उनके खेतों में उन्हें ही बंधुआ मजदूर बनाना चाहती है. जिससे कि हमारी खेती की बागडोर हमारे नियंत्रण से बाहर हो जाएगी. हम सिर्फ इन प्राइवेट कंपनियों की कठपुतली बन कर रह जाएंगे. हमारी सारी आजादी छीन ली जाएगी.
4 अगर स्टॉक से सरकारी नियंत्रण खत्म हो गया तो"प्राइवेट कंपनियां उनकी फसल का स्टॉक कर लेगी. और फिर उन्हीं को ऊंचे दामों में बेचेगी. यानी कि बिहार से खरीदा हुआ चावल राजस्थान में ऊंचे दामों पर बेचेगी. राजस्थान से खरीदा हुआ बाजरा हरियाणा में ऊंचे दामों पर बेचेगी. हरियाणा और पंजाब से खरीदा हुआ गेहूं. राजस्थान में ऊंचे दामों पर बेचेगी. जिसमें सभी किसानों का नुकसान ही नुकसान है!
5 धीरे-धीरे हमारे खेतों में प्राइवेट कंपनियों का वर्चस्व बढ़ जाएगा. और वो अपनी मनमानी करने लगेंगे. कभी किसान को अपनी फसल का मूल्य कम दिया जाएगा. तो कभी उनसे बीज के नाम पर ज्यादा वसूला जाएगा. जिससे किसान की खेती का संतुलन बिगड़ सकता है. और यह अनुमान किसान भविष्य का लगा रहे हैं. यह तो मुझे भी लगता है कि ऐसा हो सकता है. क्योंकि कंपनी अपने फायदे के लिए सरकारी आदेशों का पालन कभी नहीं करेगी. इतने बड़े देश में. शहरी व ग्रामीण स्तर पर सरकार की पैनी नजर रहना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है.
तो यह थी दोस्तों इन तीनो विधेयकों की. संपूर्ण जानकारी.2020
धन्यवाद जय हिन्द
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